अनेकार्थक शब्द | Anekarthi Shabd

Anekarthi Shabd)

Anekarthi Shabd : अनेकार्थक शब्द वह शब्द है जिसके एक से अधिक अर्थ होते हैं इन शब्दों के संदर्भ और प्रयोग बहुत अलग हो सकते हैं, लेकिन वाक्य के संदर्भ से उनका अर्थ स्पष्ट होता है।

आज यहाँ हम आपको 151+ अनेकार्थक शब्द उपलब्ध कराये है जो आपकी शिक्षा को बढाने में मदद करेगा आइये कुछ ऐसे शब्दों की एक विस्तृत सूची नीचे दी जा रही है।

अ से अ: के बिच शुरू होने वाले अनेकार्थक शब्द

  • अंक : चिह्न, लेख, संख्यासूचक चिह्न, अदद, भाग्य, काजल की बिंदी, धब्बा, गोद, शरीर ।
  • अंग : शरीर, अवयव, अंश, भेद, पक्ष, सहायक, प्रिय, पार्श्व, वेद के छह अंग।
  • अंतर : फर्क, बीच, फासला, अवकाश, मध्यवर्ती काल, ओट, छिद्र ।
  • अंबर : आकाश, वस्त्र, कपास, एक इत्र, अबरक, अमृत, बादल। 
  • अंश : भाग, भाज्य अंक, कला।
  • अक्षर : अविनाशी, अकारादि वर्ण, आत्मा, आकाश, धर्म, तपस्या, मोक्ष, जल ।
  • अग्नि : आग, पाचनशक्ति, पित्त, तीन की संख्या, सोना।
  • अनंत : असीम, अविनाशी, विष्णु, लक्ष्मण, आकाश, बलराम । 
  • अन्न : अनाज, भात, सूर्य, पृथ्वी, प्राण, जल ।
  • अमर : चिरजीवी, देवता, पारा, अमरकोश, काम, घटना, समस्या ।
  • अमृत : सुधा, जल, घी, यज्ञ की बची हुई सामग्री, अन्न, मुक्ति, दूध, औषध, पारा, धन, सुस्वादु वस्तु ।
  • अरुण : सूर्य, सूर्य का सारथी, गहरा लाल रंग, गुड़, कुमकुम, सिंदूर, माघ 2 महीने का सूर्य ।
  • अर्थ : शब्द का अभिप्राय, मतलब, काम, हेतु, इंद्रियों के विषय, धन ।
  • आकार : स्वरूप, कद, संघटन, चिह्न, चेष्टा, ‘आ’ वर्ण, बुलावा । 
  • आग्नेय : अग्नि-संबंधी, अग्नि से उत्पन्न, सुवर्ण, रक्त, कृत्तिका नक्षत्र, अग्निपुत्र कार्तिकेय, प्रतिपदा तिथि, ब्राह्मण, अग्निकोण।
  • आत्मा : रूह, मन, सूर्य, अग्नि, वायु, स्वभाव, धर्म ।
  • इंद्र : ऐश्वर्यवान्, श्रेष्ठ, सूर्य, मालिक, ज्येष्ठा नक्षत्र, चौदह की संख्या, जीव ।
  • ईश : स्वामी, राजा, ईश्वर, महादेव, ग्यारह की संख्या, आर्द्रा नक्षत्र, पारा।
  • उत्तर : दक्षिण दिशा के सामने की दिशा, जवाब, प्रतिकार, पिछला श्रेष्ठ, गौण ।
  • उपज : उत्पत्ति, पैदावार, नई उक्ति, मनगढ़ंत बात ।
  • एक : इकाइयों में सबसे छोटी और पहली संख्या, बेजोड़, कोई, समान ।

क से ज्ञ के बिच शुरू होने वाले अनेकार्थक शब्द

  • कंचन : सोना, संपत्ति, धतूरा, रक्तकांचन, सोने-सा रंग, नीरोग ।
  • कंठ : घेघा, गरदन, स्वरनलिका, स्वर, किसी बरतन का मुख, सामीप्य, हँसली, किनारा।
  • कनक : सुवर्ण, धतूरा, पलाश, नागकेसर, खजूर, केले की एक जाति, गेहूँ ।
  • कपाल  : खोपड़ी, ललाट, भाग्य, खपड़ा, खप्पर, ढक्कन, अंडे का कपाल, छिलका।
  • कपि : बंदर, हाथी, कंजा, सूर्य, विष्णु ।
  • कमल : पानी में होनेवाला पौधा, क्लोमा, जल, ताँबा, सारस, आँख का कोया, फूल, पीलू, मूत्राशय, ब्रह्मा, एक दानव का नाम । 
  • कमला : लक्ष्मी, धन, संतरा, रूपवती स्त्री, झाँझाँ, ढोला ।
  • कर : हाथ, हाथी की सूँड़, सूर्य या चंद्रमा की किरण, ओला, राजस्व, छल ।
  • कलश : घड़ा, मंदिरों या मकानों के शिखर पर का कँगूरा, चोटी।
  • कवि : कविता रचनेवाला, कलाविद्, तत्त्वचितक, ऋषि, सूर्य, ब्रह्मा, शुक्राचार्य, अग्नि, वरुण, आत्मा (सांख्य दर्शन में), लगाम ।
  • कान : सुनने की इंद्रिय, कन्ना, चारपाई का टेढ़ापन, तराजू का पसंगा, रंजकदानी, नाव की पतवार, कड़ाही आदि बरतनों का दस्ता या हैंडल ।
  • कुत्ता : श्वान, लपटौवाँ, घास, बंदूक का घोड़ा, क्षुद्र ।
  • कुमार : पाँच वर्ष की अवस्था का बालक, पुत्र, युवराज, कार्तिकेय, खरा सोना, तोता, सिंधुनद, एक ग्रह जिसका उपद्रव बालकों पर होता है, कुँवारा।
  • कुल : वंश, जाति, समूह, घर, वाममार्ग, व्यापारियों का संघ, सारा ।
  • कुशल : चतुर, श्रेष्ठ, उचित, मंगल।
  • कूल : किनारा, सेना के पीछे का भाग, समीप, नहर, तालाब।
  • कृष्ण : देवकी और वसुदेव का आठवाँ पुत्र, काला, नीला, दुष्ट, छप्पय, छंद का एक भेद, चार अक्षरों का एक वृत्त, वेदव्यास, अर्जुन, कोयल, कौआ, अँधेरा पक्ष, कलियुग, चंद्रमा का धब्बा, हिरन ।
  • केश : सिर के बाल, रश्मि, वरुण, विश्व, विष्णु, सूर्य, अयाल ।
  • कोठी : हवेली, बड़ी दुकान, अनाज रखने का कुठला, गर्भाशय ।
  • क्रिया : कर्म, प्रयत्न, गति, अनुष्ठान, नित्यकर्म, श्राद्ध आदि प्रेतकर्म । 
  • खग : पक्षी, गंधर्व, बाण, ग्रह, बादल, देवता, सूर्य, चंद्रमा, वायु। 
  • खत : घाव, पत्र लिखावट, रेखा, हजामत ।
  • खर्जूर : खजूर, चाँदी, हरताल, बिच्छू।
  • खान : भोजन, भोजन की सामग्री, खदान, खजाना, सरदार, पठानों की उपाधि ।
  • गज : खाना घर, केस, विभाग, सारिणी या चक्र का विभाग। – हाथी, एक राक्षस, राम की सेना का एक बंदर, आठ की संख्या, लंबाई मापने की एक माप, एक प्रकार का तीर ।
  • गति : चाल, हरकत, अवस्था, रूपरंग, पहुँच, प्रयत्न की सीमा, शरण, चेष्टा, माया, ढंग, मोक्ष, पैंतरा ।
  • गुण : धर्म, निपुणता, कोई कला या विद्या, असर, अच्छा स्वभाव, खासियत तीन की संख्या, रस्सी या तागा, धनुष की डोरी, प्रकृति के तीन भाव (सत्व, रज और तम ) ।
  • गुरु : भारी, कठिनता से पकने या पचनेवाला (खाद्य), शक्तिशाली, आचार्य, किसी मंत्र का उपदेष्टा, उस्ताद, पूज्य पुरुष, देवताओं के आचार्य बृहस्पति, पुष्य नक्षत्र, ब्रह्मा, विष्णु, शिव।
  • गृहस्थी : गृहस्थाश्रम, घरबार, कुटुंब, घर का सामान ।
  • गो : गाय, किरण, वृष राशि, इंद्रिय, वाणी, सरस्वती, आँख, बिजली,पृथ्वी, दिशा, माता, बकरी, भैंस, भेड़ इत्यादि दूध देनेवाले पशु, जीभ, बैल, घोड़ा, सूर्य, चंद्रमा, बाण, आकाश, स्वर्ग, जल, वज्र, शब्द, नौ का अंक ।
  • गोप : गौ की रक्षा करनेवाला, ग्वाला, गोशाला का अध्यक्ष, भूपति, गाँव का मुखिया, गले में पहनने का एक आभूषण ।
  • गौरी : गोरे रंग की स्त्री, पार्वती, आठ वर्ष की कन्या, हलदी, तुलसी, गोरोचन, सफेद रंग की गाय, सफेद दूब, गंगा नदी, पृथ्वी । 
  • ग्रह : सौरमंडल के नौ प्रधान तारे, नौ की संख्या, चंद्रमा या सूर्य का ग्रहण, ग्रहण करना, कृपा, राहु, स्कंद, शकुनी आदि छोटे बच्चों के रोग ।
  • ग्राम : छोटी बस्ती, आबादी, समूह, शिव, क्रम से सात स्वरों का समूह।
  • घर : आवास, जन्मस्थान, घराना, कार्यालय, कोठरी, कोठा, कोश, पटरी आदि से घिरा हुआ स्थान, छोटा गड्ढा, छेद, मूल कारण, गृहस्थी ।
  • चंदा : चंद्रमा, पीतल आदि की गोल चद्दर, उगाही, किसी संस्था की सदस्यता के लिए समय-समय पर दिया जानेवाला धन, किसी सामयिक पत्र या पुस्तक आदि का वार्षिक मूल्य ।
  • चरण : पैर, बड़ों का सान्निध्य, किसी चीज का चौथाई भाग मूल, गौत्र- क्रम, आचार, घूमने की जगह, सूर्य आदि की किरण, अनुष्ठान, गमन, भक्षण।
  • चार : तीन से एक अधिक, कई एक, थोड़ा-बहुत, गति, बंधन, गुप्त दूत, दास, चिरीजी का पेड़, आचार।
  • चाल : चलने का ढंग, आचरण, आकार-प्रकार, रीति, गमन- मुहूर्त, तदवीर, कपट, ढंग, हलचल, आहट ।
  • चित्र : तिलक, तसवीर, अलंकार, एक वर्णवृत्त, आकाश, चित्रगुप्त, चीते का पेड़, विचित्र, चितकबरा, रंगबिरंगा । 
  • जगह : स्थान, मौका, ओहदा, गुंजाइश ।
  • जड़ : अचेतन, मूर्ख, अकड़ा हुआ, शीतल, गूँगा, बहरा, मूल, नीव, सबब, आधार ।
  • जनक : उत्पादक, पिता, मिथिला के प्राचीन राजवंश की उपाधि, सीता के.पिता।
  • जबान : जीभ, वात, प्रतिज्ञा, भाषा।
  • जमीन : भूमि, पृथ्वी (ग्रह), मिट्टी, कपड़े आदि की वह सतह जिसपर बेल- बूटे आदि बने हो, चित्र लिखने के लिए मसाले से तैयार की हुई सतह, भूमिका।
  • जान : ज्ञान, खयाल, चतुर, प्राण, बल, सार, शोभा बढ़ानेवाली वस्तु ।
  • जी : मन, प्राण, हिम्मत, संकल्ला, किसी के नाम के अंत में लगाया जानेवाला सम्मानसूचक शब्द ।
  • ज्योति : प्रकाश, लपट, अग्नि, सूर्य, नक्षत्र, आँख की पुतली के मध्य का बिन्दु, दृष्टि, विष्णु, परमात्मा ।
  • टीका : तिलक, दोनों भौहों के बीच माथे का मध्य भाग, श्रेष्ठ पुरुष, राजतिलक, युवराज, आधिपत्य का चिह्न, धब्बा, व्याख्या । 
  • ठंडा : शीतल, बुझा हुआ शांत, उदासीन, विरोध न करनेवाला प्रसन्न, निश्चेष्ट मरा हुआ।
  • ठाकुर : देवता, पूज्य व्यक्ति, किसी प्रदेश का अधिपति, जमीदार, क्षत्रियों की उपाधि, स्वामी, नाइयों की उपाधि, बंगाली ब्राह्मणों की उपाधि । 
  • डोरा : मोटा सूत या धागा, लकीर, तलवार की धार, तपे घी की धार, एक प्रकार की करछी, स्नेहसूत्र, काजल या सुरमे की रेखा, नृत्य में कंठ की गति ।
  • तट : किनारा, क्षेत्र, प्रदेश, समीप, शिव।
  • तप : तपस्या, साधना, नियम, अग्नि, ताप, ग्रीष्म ऋतु, बुखार। 
  • तारा : सितारा, आँख की पुतली, भाग्य, दस महाविद्याओं में से एक, बालि की स्त्री ।
  • तीर : नदी का किनारा, पास, बाण।
  • तूफान : लँगड़ी आँधी, डुबानेवाली बाढ़, आपत्ति, हल्लागुल्ला, दंगा- तूफान फसाद, झूठा दोषारोपण ।
  • त्रिशूल :  एक अस्व जिसके सिरे पर तीन फल होते है (विशेषतः महादेवजी का अख), दैहिक, दैविक और भौतिक दुख ।
  • दाम : रस्सी, माला, समूह, लोक, जाल, पैसे का चौबीसवाँ या पचीसवाँ भाग, मूल्य, धन, सिक्का, दान-नीति ।
  • दिमाग : विचार, कामना, भावना, चेतना, स्मरण आदि शक्तियों का अवयव, मस्तिष्क, मानसिक शक्ति, अभिमान ।
  • दिल : कलेजा, भावों का अवयव (विशेषतः प्रेम का), साहस, प्रवृत्ति । 
  • दुर्गा : दुर्ग नामक दैत्य को मारनेवाली देवी, आदिशक्ति, हिमवान् और ‘मेनका की कन्या, नील का पौधा, अपराजिता, श्यामापक्षी, एक संकर रागिनी ।
  • देव : देवता, पूज्य व्यक्ति, ब्राह्मणो, राजाओं तथा बड़ों के लिए एक आदरसूचक शब्द ।
  • द्रव : द्रवण, बहाव, पलायन, वेग, आसव, रस, द्रवत्व, तरल, गीला, पिघला हुआ।
  • द्रव्य : वस्तु, मूल पदार्थ जिसमें केवल गुण और क्रिया अथवा केवल गुण हो और जो समवायि कारण हो, सामग्री, धन।
  • धड़ : शरीर का स्थूल मध्यभाग, तना, किसी वस्तु के एकबारगी गिरने से उत्पन्न शब्द ।
  • धन : संपत्ति, गोधन, स्नेहपात्र, गणित में जोड़ी जानेवाली संख्या या जोड़ का चिह्न, पूँजी ।
  • धूप : सुगंधित धूप, कई द्रव्यों के योग से बनाई गई कृत्रिम धूप, सूर्य का प्रकाश और ताप । 
  • नंदन : इंद्र के उपवन का नाम, बेटा, एक प्रकार का विष, महादेव, विष्णु , एक प्रकार का अस्त्र, मेघ, आनन्ददायक ।
  • नरम : मुलायम, लचीला, मंदा, धीमा, सुस्त, लघुपाक, जिसमें पौरुष का अभाव हो ।
  • नर्तक : नट, नरकट, चारण, एक जाति, महादेव ।
  • नाक : नासिका, प्रतिष्ठा या शोभा की वस्तु, इज्जत, मगर की जाति का प्रसिद्ध जलजंतु, स्वर्ग, अंतरिक्ष, अस्व का एक आघात ।
  • नाग : सर्प, कद्रु से उत्पन्न कश्यप ऋषि की संतान, हिमालय के उस पार एक देश का नाम, एक पर्वत (महाभारत), हाथी, राँगा, सीसा (धातु), नागकेसर, पुन्नाग, पान, नागवायु, बादल, आठ की संख्या, दुष्ट या क्रूर मनुष्य, नागा ।
  • नाना : बहुत तरह के, अनेक, मातामह, पुदीना ।
  • निशान : चिह्न, किसी पदार्थ से अंकित किया हुआ चिह्न, शरीर अथवा और किसी पदार्थ पर बना हुआ स्वाभाविक या कृत्रिम चिह्न, दाग या धब्बा, अनपढ़ आदमी द्वारा अपने (हाथ के अंगूठे से) हस्ताक्षर के बदले कागज आदि पर बनाया गया चिह्न, प्राचीन या पहले की घटना अथवा पदार्थ का परिचय मिलने का लक्षण, पता, ध्वजा। 
  • नेता : नायक, स्वामी, निर्वाहक, मथानी की रस्सी ।
  • पंक्ति : श्रेणी, रेखा, सतर, कुलीन ब्राह्मणों की श्रेणी, भोज में एक साथ बैठकर खानेवालों की श्रेणी, चालीस अक्षरों का एक वैदिक छंद, एक वर्णवृत्त ।
  • पति : दूल्हा, मालिक, मर्यादा, शिव या ईश्वर । 
  • पत्र : किसी वृक्ष का पत्ता, दस्तावेज, समाचारपत्र, पृष्ठ, किसी विशेष कार्य के प्रमाणस्वरूप कुछ लिखा गया कागज या ताम्रपत्र, पट्टा, धातु की चद्दर, तीर या पक्षी के पंख । 
  • फण : साँप का फन रस्सी का फंदा, नाव का अगला ऊपरी भाग ।
  • फल : खानेवाला फल, बीजकोश, लाभ, नतीजा, कर्मभोग, गुण, शुभ कर्मों के परिणाम, प्रतिफल, आघात किया जानेवाला बाण, फलक, ढाल, क्षेत्रफल, जायफल ।
  • फकीर : भिक्षुक, साधु, निर्धन मनुष्य ।
  • फसल : ऋतु, समय, खेत की उपज ।
  • फूल : पुष्प, फूल के आकार के बेलबूटे या नक्काशी, फूल के आकार का कोई गहना, पीतल आदि की गोल गाँठ या घुंडी, सफेद दाग, स्त्रियों का मासिक रज, ताँबे और राँगे के मेल से बननेवाली एक मिश्र धातु, फूलने की क्रिया या भाव, उत्साह, आनन्द ।
  • बच्च : छोटी लड़की, पाजेब आदि का घुंघरू, होंठ के नीचे बीच में जमा हुआ बाल, छत या छाजन में बड़ी घोड़िया के नीचे लगाई जानेवाली छोटी घोड़िया।
  • बाण : तीर, गाय का थन, आग, लक्ष्य, पाँच की संख्या, शर का अगला भाग।
  • बाबा : पिता, पितामह, साधु-संन्यासियों के लिए आदरसूचक शब्द, बूढ़ा पुरुष, लड़कों के लिए प्यार का शब्द ।
  • बिच्छू : प्रसिद्ध छोटा जहरीला जानवर, एक प्रकार की जहरीली घास।
  • बुखार : ज्वर, वाष्प, शोक, क्रोध, दुःख आदि का आवेग ।
  • वृहस्पति : प्रसिद्ध वैदिक देवता अंगिरस के पुत्र और देवताओं के गुरु, सौर जगत् का पाँचवाँ ग्रह।
  • ब्राह्मण : चार वर्णों में सबसे श्रेष्ठ वर्ण या जाति, मंत्र, आरण्यक और उपनिषद् के अतिरिक्त वेदों का शेष अंश, विष्णु, शिव 
  • भक्त : भागों में बाँटा हुआ, बाँटकर दिया हुआ, अलग किया हुआ, अनुयायी, सेवा करनेवाला ।
  • भगवान् : ऐश्वर्ययुक्त, पूज्य, ईश्वर, विष्णु, कोई पूज्य और आदरणीय व्यक्ति ।
  • भूत : द्रव्य, सृष्टि का कोई जड़ या चेतन, अचर या चर पदार्थ या प्राणी, जीव, सत्य, बीता हुआ समय, क्रिया का वह रूप जो क्रिया का व्यापार समाप्त होने की सूचना देता है, मृत शरीर, मृत प्राणी की आत्मा, बीता हुआ, मिला हुआ, समान, जो हो चुका हो। 
  • भूमि : पृथ्वी, जड़, देश, क्रम-क्रम से योगी को प्राप्त होनेवाली अवस्थाएँ, क्षेत्र।
  • मधु : शहद, मदिरा, फूल का रस, वसंत ऋतु, चैत्रमास, पानी, एक दैत्य, दो लघु अक्षरों का एक छंद, शिव, मुलेठी, अमृत, मीठा, स्वादिष्ट ।
  • महावीर : हनुमानजी, गौतमबुद्ध, जैनियों के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर, बहुत बड़ा बहादुर या वीर ।
  • मां : लक्ष्मी, दुर्गा या काली, माता, दीप्ति ।
  • माता : जननी, कोई पूज्य या आदरणीय स्त्री, गौ, भूमि, लक्ष्मी, शीतला, मतवाला ।
  • मामा : माता का भाई, माता, रोटी पकानेवाली स्त्री, नौकरानी ।
  • मुँह : मुख-विवर, मनुष्य का मुख-विवर, चेहरा, किसी पदार्थ के ऊपरी भाग का विवर, सूराख, मुलाहजा, योग्यता, साहस ।
  • रक्त : लहू, कुमकुम, ताँबा, कमल, सिंदूर, शिंगरफ, लाल चंदन, रँगा हुआ, लाल। 
  • रथ : एक प्रकार की पुरानी सवारी, शरीर, चरण, शतरंज में ऊँट ।
  • रवि : सूर्य, मदार का पेड़, अग्नि, नायक ।
  • राम : परशुराम, बलराम, सूर्यवंशी महाराज दशरथ के पुत्र, तीन की संख्या, ईश्वर, एक प्रकार का मात्रिक छंद ।
  • रेखा : लकीर, किसी वस्तु का सूचक चिह्न, गणना, आकृति, हथेली, तलवे आदि में पड़ी हुई लकीर ।
  • लेख : लिपि, लिखावट, किसी विषय पर गद्य में लिखी हुई पूरी बात लेखा, देव, पक्की बात ।
  • वंश : खानदान, बाँस, पीठ की हड्डी, नाक के ऊपर की हड्डी, बाँसुरी, बाहु आदि की लंबी हड्डियाँ ।
  • वर्ण : रंग, जनसमुदाय के चार विभाग, अक्षर, रूप ।
  • शनि : सौर जगत् का सातवाँ ग्रह, दुर्भाग्य।
  • शिव : महादेव, परमेश्वर, देव, रुद्र, लिंग, मंगल, मोक्ष, वेद, जल, पारा।
  • शुक्र : शुक्रतारा, वीर्य, बल, सप्ताह का छठा दिन, अग्नि, धन्यवाद। 
  • शून्य : खाली स्थान, एकांत स्थान, बिंदु, अभाव, स्वर्ग, विष्णु, ईश्वर, निराकार, विहीन ।
  • श्री : लक्ष्मी, सरस्वती, कमल, सफेद चंदन, त्रिवर्ग, संपत्ति, विभूति, कीर्ति, प्रभा, कांति, एक प्रकार का पदचिह्न, स्वियों का बेदी नामक आभूषण, नाम के आदि में रखा जानेवाला आदरसूचक शब्द, वैष्णवों का एक संप्रदाय, एक अक्षर का छंद या वृत्त, संपूर्ण जाति का एक राग ।
  • संज्ञा : चेतना, बुद्धि, ज्ञान, नाम, व्याकरण में वह विकारी शब्द जिससे किसी पदार्थ या कल्पित वस्तु का बोध होता है, सूर्य की पत्नी, संकेत ।
  • सरल : सीधा, निष्कपट, चीड़ का पेड़, गंधाबिरोजा ।
  • साँवला : श्याम वर्ण का, श्रीकृष्ण, पति या प्रेमी आदि का बोधक एक नाम (गीतों में)।
  • साधु : कुलीन, धार्मिक पुरुष, सज्जन, उत्तम, सच्चा, प्रशंसनीय, उचित । 
  • सुग्रीव : जिसकी गरदन सुंदर हो, बालि का भाई, इंद्र, शंख ।
  • सेना : फौज, भाला, इंद्र का वज्र, इंद्राणी ।
  • सोना : स्वर्ण, बहुत सुंदर वस्तु, राजहंस, मझोले कद का एक वृक्ष, एक प्रकार की मछली।
  • हाथ : कर, लंबाई की एक नाप, दाँव ।
  • हिम : बर्फ, जाड़ा, चंद्रमा, चंदन, कपूर, मोती, कमल, ठंडा।
  • क्षमा : माफी, सहनशीलता, पृथ्वी, एक की संख्या, दक्ष की एक कन्या, दुर्गा, तेरह अक्षरों का एक वर्णवृत्त ।
  • क्षार : खार, नमक, सज्जी, शोरा, सुहागा, भस्म ।
  • क्षेत्र : खेत, समतल भूमि, घर, उत्पत्ति-स्थान, तीर्थ-स्थान, स्त्री, शरीर, अंतःकरण, प्रभाव या क्रिया का दायरा ।

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