भारतीय किसान पर निबंध | Bhartiya Kisan Par Nibandh

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बहुत सारे छात्र भारतीय किसान पर निबंध चाहते है तो हमने भी सोचा क्योकि न आज आपको किसान पर निबंध पेश किया जाएँ।

अक्सर जो लोग स्कूल में पढाई करते है उन्हें अक्सर निबंध लिखने को मिलता रहता है कई बार हिंदी के परीक्षा में भारतीय किसान पर निबंध लिखने को मिल जाता है।

ऐसे में अगर आप एक छात्र है तो आपको Essay on Kisan in Hindi लिखने आना चाहिए आपको यहाँ हम भारतीय किसान पर निबंध उपलब्ध कराये है जो आपको काफी पसंद आएगा।

भारतीय किसान पर निबंध (200 शब्द)

प्रस्तावना –

भारत देश एक कृषि प्रधान देश हैं, हमारे भारत में बहुत ज्यादा लोग किसानी करते हैं और किसान का जीवन बड़ी कठिनाईयों से भरा होता है, लेकिन फिर भी किसान हमारे देश के लिये अनाज, उगाते हैं जिससे हमारे पूरे देश का पेट भरता हैं।

भारतीय किसान –

भारतीय किसान अपने खेतों में काम करते हैं और ‘उस खेत से कई प्रकार के अनाज फल सब्जियां उगाते हैं और कल से सभी लोगो का ते भरतार फसल की -रात मेहनत करके अपने खेतो है किसान दिन रखवाली करके और सेवा करके हैं जिससे उनका फसल और अच्छा हो।

किसान की छवि और महत्व –

किसान हम भारतीयों के लिये अनाज उगाता हैं। फिर भी भारत में कुछ लोग किसानों को खार समझते हैं और उन्हें बहुत नीचा समझा जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं ही करना चाहिये, हमारे देश में हर एक व्यक्ति एक समान है, और हमारे देश के लिये दो ही ऐसे लोग हैं जो बहुत मेहनत कर रहे हैं पहले जवान हैं और दूसरे किसान है इसलिये कहा गया हैं।

निष्कर्ष –

किसी भी देश की उन्नति में किसान का भी बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि किसान पुरे देश के लिये अनाज अगाता उगाता है। अगर 2 किसान अनान नही उगयेिगा तो सभी लोगो का जीवन रह पाना मुश्किल हैं इसलिये हमें और सरकार को किसानों की कद्र करते हुये उनकी सहायता और इज्जत करनी चाहिये।

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भारतीय किसान पर निबंध (350 शब्द)

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि ही है। कृषि कर्म ही जिनके जीवन का आधार हो, वह है कृषक । त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान । वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। किसान ही अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करता है।

वह किसी पौधे के बीज से लेकर पूरे उस पौधे के बड़े होने तक का इंतजार करता है और उससे अन्न प्राप्त करके हमारी मूल आवश्यकता को पूर्ण करता है। हमारे जीवन में किसान का योगदान किसी ईश्वर से कम नहीं है।

भारत गाँवों का देश है। भारत के अधिकांश लोग गाँवों में रहते हैं । उनमें से अधिकांश लोग किसान हैं। उनका मुख्य पेशा खेती है । वे लोग अनाज उपजाते हैं । वे लोग पूरे देश को खिलाते हैं। लेकिन उनकी अपनी स्थितियाँ अच्छी नहीं हैं। वे उपेक्षित हैं और दयनीय जीवन जीते हैं।

आजादी के पूर्व किसानों की दशाएँ और भी दयनीय थीं। वे लोग जमींदारों के द्वारा शोषित थे । वे जमींदारों के नियंत्रण में थे। उन्हें लगान देने के लिए उनपर जोर-जबर्दस्ती किया जाता था । जमींदार लोग पत्थरदिल वाले थे। वे उनपर अत्याचार करते थे, यदि समय पर लगान देने में वे लोग असमर्थ होते थे।

सिंचाई के साधन नहीं थे । इसीलिए, . वे लोग पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर करते थे। बाढ़ एवं सुखाड़ उनके जीवन में दुःख-दर्द लाने के अन्य कारक थे। साल में छः महीने वे लोग बेरोजगार रहा करते थे । ये सभी कारण उनके जीवन को कठिन बना देते थे। उनका जीवन कष्टों से भरा था ।

आजादी मिलने के बाद भारत सरकार ने किसानों की दशाओं को सुधारने का प्रयास किया है । सरकार ने जमींदारी प्रथा को समाप्त कर दिया है। सिंचाई के साधन तैयार किये गये हैं। बाढ़ और सुखाड़ रोकने के उपाय किये गये हैं। किसानों को वैज्ञानिक खेती करने की विधियों की जानकारी दी जा रही है।

उन्हें कृषि ऋण दिये जा रहें हैं। आधुनिक तरीके से बीजों एवं कीटनाशकों के प्रयोग उन्हें सिखलाए जा रहे हैं । अतः, हरसंभव सहायता उन्हें दी जा रही है।

बहुत हद तक भारतीय किसान पारंपरिक एवं अंधविश्वासी हैं। लेकिन, धीरे- धीरे वे लोग बदलते समय परिचित हो रहे हैं। आनेवाले दिनों में उनकी स्थिति बेहतर होगी।

भारतीय किसान पर निबंध (400 शब्द)

भारतवर्ष कृषकों का देश है। भारतीयों का असल धन देहातों में है। खेत मनुष्य को अन्न देता है। वह मनुष्य, जो जोतने-बोने का काम करता है, कृषक या किसान कहलाता है। वह खेत जोतता है, मिट्टी खोदता है और बीज बोता है। बस इतना ही एक भारतीय किसान – अपनी अजीविका के लिए करता है। वह सालोंभर अपने खेत में परिश्रम करता है चाहे कोई भी मौसम हो।

वह साधारण वस्त्र पहनता है और साधारण जीवन व्यतीत करता है। वर्षा के दिनों में वह नंगे बदन काम करने जाता है। वह सिर्फ ठेहुने तक एक धोती और एक अंगोछा रखता है। कभी-कभी वह हाथ में लाठी भी रखता है। वह साधारण भोजन करता है। वह बैल, गाय और बछड़े रखता है। गाय उसे दूध देती है और बैल उसके खेत जोतते हैं।

गरीब होकर भी वह संतुष्ट रहता है। अपने परिवार के साथ वह सुख-चैन का जीवन बिताता है। दुनिया की उसे परवाह नहीं, किन्तु आज का किसान उतना अनभिज्ञ नहीं है जैसा कि वह पुराने समय में था; क्योकि आज संचार आसान और सस्ता हो गया है।

वर्षा ऋतु में और सूर्य की गर्म किरणों में भी वह काम करता है। उसके परिवार की स्त्रियाँ भी खेत में जाती है और वे घास उखाड़तीं, बीज बोतीं तथा कटनी करती हैं। उसकी आदतें सीधी- साधी है। परन्तु वह जानता है कि संसार में क्या हो रहा है।

बाहरी दुनिया की जानकारी उसे जितनी अधिक हो रही है उतनी अधिक वह जानने को इच्छुक है। अक्सर उसमें अपने पड़ोसियों से लड़ने की आदत होती है। स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का उसे कुछ भी ज्ञान नहीं है। वह महाजन से ऊँची सूद-दर पर रुपये लेता है। वह हमेशा ऋण के बोझ से दबा रहता है। वह गरीब है।

हर व्यक्ति को उसकी दशा पर तरस खानी चाहिए। वह मनुष्यों का अन्नदाता है। उसकी दशा में सुधार होना आवश्यक है। उसके लिए रात्रि-स्कूल खुलने चाहिए। पुस्तकालय भी आवश्यक है जहाँ वह पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ सके। उसके बच्चों के लिए स्कूल चाहिए। सरकार को उसकी मदद करनी चाहिए। प्रत्येक ग्राम में दस्तकारी उद्योग का प्रबन्ध होना चाहिए जहाँ किसानों को काम मिल सके। सहकारी खेती का सूत्रपात होना चाहिए। उसे खेती के काम के लिए आधुनिक यंत्र मिलना चाहिए।

हरेक देश में इसकी महत्ता को समझा जा रहा है। इंग्लैण्ड में सन् 1881 ई. में किसानों ने पहली क्रान्ति अपने अधिकारों के लिए की। रूस की 1917 की क्रान्ति ने इसे सबसे ऊँची चोटी पर ला रखा है। अब भारतीय किसान भी अपना अधिकार पाने के लिए कमर कस चुके हैं। विनोबा भावे का भूदान-यज्ञ और बटाईदारी कानून इसके अधिकार को दिलाने का उद्देश्य है।

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