Essay on Global Warming in Hindi | ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

Essay on Global Warming in Hindi

Essay on Global Warming in Hindi : क्या आपको मालूम है कि ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध अगर नही तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़े दोस्तो आपने बुजुर्ग लोगो से सुना होगा की पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी लेकिन आज के समय में काफी गर्मी पढ़ती है इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग है वर्तमान समय मे हमे सभी जगहों पर पेड़ लगाने की सलाह दे जा रही है और कहां जा रहा हैं।

मनुष्य को 1 वर्ष में कम से कम 1 पेड़ जरूर लगानी चाहिए, जिससे हमारा वातारण साफ रहें परावर्तन में हरियाली आये लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि हमें पेड़ लगाने की सलाह क्यों दी जा रही है, जगह जगह पर पेड़ क्यों लगाये जा रहे है आखिर ग्लोबल वार्मिंग क्या है (Essay on Global Warming in Hindi), ग्लोबल वार्मिंग कैसे रोका जाए आदि इस पोस्ट में हम इसी के बारे में जानने वाले है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (300 शब्द)

र्तमान समय मे हमारा समाज दिन प्रतिदिन प्रदूषण के चपेट में बढ़ता ही चला जा रहा है, जिससे हमारे नगर, शहर, देश की हरियाली दिन प्रतिदिन प्रदूषित होती जा रही है लेकिन देखा जाए तो गांव तो कुछ ठीक है लेकिन सबसे ज्यादे प्रदूषित हमारे शहर हो रहे है इसका मुख्य कारण गंदगी और फैक्ट्रियों से निकलने वाली प्रदूषित गैस, कचड़ा आदि है।

इतना ही नही बल्कि प्रत्येक वर्ष नए नए शहरों का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए जंगलों को काँटा जा रहा है जिससे लगातार ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है पहले के समय मे मैसम के हिसाब से दिन चलता था यानी गर्मी के मौसम में गर्मी होती थी और ठंडी के मौसम में ठंडी लेकिन ऐसा अब धीरे धीरे कम होता जा रहा है।

लेकिन अब इसका कोई नियमित समय रहा है इसका मुख्य कारण है हरित गृह गैसों के कारण भू तल के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है इस बढ़ोत्तरी से दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया है इसको ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है उपग्रह ताप मापक के अनुसान सन 1989 में क्षोपमंडल का तापमान 0.13℃ – 0.22℃ के प्रति 10 वर्ष की दर से बढ़ रहा है।

IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) के रिपोर्ट के अनुसार 21वी शताब्दी के दौरान पूरे दुनिया मे औसत तापमान में 1.1 – 6.4 सेंटीग्रेट से बढ़ोतरी होने की संभावना है धरती के सतह के ताप में बृद्धि का दर समुन्द्र के तापमान के बृद्धि के दर से दोगुनी होती है क्योंकि वाष्पीकरण के कारण समुद्री ताप कम हो जाता है।

उत्तरी ध्रुव तापमान तापमान में बृद्धि दक्षिणी ध्रुव के अपेक्षा अधिक होता है क्योंकि वहाँ का सतह के क्षेत्रफल अधिक होता है विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में ग्लोबल वैष्विक ताप में भिन्नता पायी जाती है हिमनद विशेषसंगो के अनुसार धुर्वी क्षेत्रो में लगभग 10℅ हिम की मात्रा में कमी आयी है यदि ऐसे ही तापमान में वृद्धि होती रही तो जीवमंडल में दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (1200 शब्द)

हरित गृह के पणिरामस्वरूप पृथ्वी के सतह के समीप की वायु का तापमान तथा समुन्द्र का तापमान दोनों निरंतर बढ़ रहा है इस प्रभाव को पूरे विश्व मे पाया जाता है इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहाँ जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग को हम वैशविक तापमान या भूमंडलीय तापमान के नाम भी जानते है ग्लोबल वार्मिंग का सर्व प्रथम प्रयोग 1975 में बेली ब्रोकर (Beli Brokers) द्वारा विज्ञान जर्नल में किया गया था बाद में साल 1979 में एक पत्रिका ‘चार्नी रिपोर्ट’ में राष्ट्रीय विज्ञान परिसर द्वारा प्रयुक्त हुआ।

जब Nasa के एक वैज्ञानिक ‘जेम्स ई हेंसन’ ने सन 1988 में ग्लोबल वार्मिंग का प्रयोग किया था तब से इस शब्द को और इसका अर्थ को काफी बड़े स्तर पर समझा जा रहा है और सामान्य रूप से इसका प्रयोग भी किया जा रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली वातावरण में बदलाव के लिए सबसे ज्यादे जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैस है यह ऐसी गैस है जो बाहर से आ रही गर्मी या ऊष्मा को सोख लेती है ग्रीन हाउस के बारे में ओर जानकारी ऊपर बताया गया है अगर देखा जाए तो ग्लोबल वार्मिंग का अनेकों कारण है।

जिसमें दो कारण अधिकतर बताया जाते हैं जिसमे पहला प्राकृतिक और दूसरा मानवीय यानी हम अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए गर्म किया गया है आइये इन दोनों कारणों के बारे में बारी बारी से जानकारी जान लेते है।

1. प्रदूषण (Pollution)

प्रदूषण एक ऐसी गंभीर समस्या बन चुका है जो केवल देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का समस्या का कारण बन चुका है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतु और सभी सजीव पदार्थ आ गए हैं प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है की प्रकृति का संतुलन खराब होना, जीवन के लिए जरूरी चीज दूषित होना, स्वच्छ जल न मिलना, स्वच्छ वायु ना मिलना आदि हो सकते है।

पवर्तमान समय मे दिन प्रतिदिन ऑटोमोबाइल कंपनियों की संख्या जो बाइक और कार जैसे वाहनों को बनाती है और यही सभी गाड़ी चलती दिखती है हमारे सामने सड़को पर रात-दिन गाड़िया चलती रहती है जिससे निकलने वाले धुंआ पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान फैलाते है दिन प्रतिदिन गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

हमे कही भी जाना होता है तो हम गाड़ियों का इस्तेमाल करते है चाहे वह गाड़ी पेट्रोल इंजन हो या डीजल इंजन दोनों इंजन से निकलने वाले धुंआ वातारण को काफी नुकसान पहुचता है, इसका जिमेदार भी हम सब है जो गाड़ियों को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते है।

2. औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution)

वर्तमान समय में हमारे देश में बेरोजगारी काफी बड़ी मात्रा में बनी हुईं है लेकिन वही दूसरी ओर दिन प्रतिदिन तरह तरह की कंपनियों की संख्या बढ़ती चली जा रही है इसमें आबादी इतनी ज्यादा हो गई है सभी को नौकरी पाना मुमकिन नहीं है लेकिन फिर भी प्रोडक्ट उत्पादन करने वाली कंपनियों की संख्या की कमी नहीं है एक ही प्रोडक्ट बनने वाली कई सारे कंपनियां हो गयी है।

जिससे मार्केट में ज्यादा कंपटीशन हो गया है जो कंपनियां अपनी-अपनी प्रोडक्ट बनाने के लिए काफी ज्यादा मात्रा में ऊर्जा की खपत करती है, जिसके कारण CO2 उत्पन्न होता है इतना ही नहीं आपने कभी ना कभी बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों जिनकी चिमनी से निकलने वाले जहरीले CO2 गैस पृथ्वी पर आने वाले सजीव वस्तु को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते है।

इतना ही नहीं बल्कि कुछ ऐसे पदार्थ से बनाए जाते हैं जल के उत्पादन के समय ग्रीन हाउस गैसें निकलती है जो जीव-जंतुओं के लिए काफी खतरनाक होती है।

3. पेड़ों की कटाई (Deforestation)

बचपन में जब हम छोटे होते हैं तब हमें स्कूली पढ़ाई के दौरान हमें बताया जाता है की पेड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है यह हमारे धरोहर है इसे बचाकर रखना चाहिए लेकिन वही वर्तमान समय मे नए नए शहर, खेत, कंपनी आदि चीजे बनाने के लिए जंगलों को कटा जा रहा है जिसे ग्लोबल वार्मिंग की बढ़ोतरी हो रही है।

भारी में मात्रा को जंगलों को काटा जा रहा जो कार्बन डाइऑक्साइड अपने अंदर ग्रहण करके हमे ऑक्सिजन प्रदान करते है इसका प्रतिशत काफी घटता जा रही है इसका बड़ा उदारहण है जब कोरोना वायरस दौड़ था तब बहुत से लोगो को ऑसिजन की कमी हो गयी थी जिसके के लिए अलग से ऑक्सिजन दिया जाने लगा था।

इसका साफ मतलब है कि वातारण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ता रहा है और ऑक्सिजन का मात्रा घट रहा है जिसके कारण ग्रीनहाउस जैसे ज़हरीले गैस हमारे वातावरण में तेजी फैल रहे है इतना ही नहीं बल्कि पेड़ पौधों को जलाने से निकलने वाले कार्बन डाईऑक्साइड हमारे वातावरण में तेजी से फैल रहे हैं इससे यह स्पष्ट होता है की ग्लोबल वार्मिंग का कारण सिर्फ मनुष्य जाति ही है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects Global Warming in Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से हमारे पृथ्वी पर काफी बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है जिसके पिछले कुछ साल में पृथ्वी का तापमान 1डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है यह आंकड़ा देखने में छोटा लगता है लेकिन यही तापमान वातावरण का बर्बादी की ओर धकेल सकता है यह 1 डिग्री तापमान बढ़ने का अनेको कारण है ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है।

जिससे पृथ्वी पर रहने वाले कुछ जीव-जंतु ग्लोबल वार्मिंग का ताप सहन नही कर पाते और जिसकी वजह से उनकी मौत होने लगता है और कुछ विलुक्त होने लगते है इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग से ध्रुवो पर बर्फ का पिघलना, ग्लेशियर का पिघलना आदि घटनाएँ होती रहती है और भी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के बारे में जानने के लिए नीचे बताया गया है।

1. समुंद्री जल स्तर का बढ़ना (Rising Ocean Level)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुंद्रो में ग्लेशियर तथा ध्रुवो पर बर्फ पिघल रहा है इससे समुंद्री जल का स्तर बढ़ रहा है इससे भविष्य में समुन्द्र तलिये क्षेत्रो में या समुन्द्र के नजदीक बसे शहरों में जलमग्न होने की संभवना हो सकती है।

2. जलवायु परिवर्तन (Change Environment)

ग्लोबल वार्मिंग के वजह से जलवायु में बदलाव हों रहा है इस बदलाव से जीव-जंतु, पेड़, पैधे, वनस्पति आदि पर काफी छतिकुल प्रभाव पड़ता है और सामाजिक विघटन होता है।

3. खाध्य पदार्थ में कमी (Food Shortage)

मौसन में परिवर्तन होने से पूरे दुनिया मे कुछ क्षेत्र सूखे हो जाएंगे जबकि क्षेत्र में जलवायु की आद्रता बढ़ जाएगी, प्रतिकूल जलवायु में वनस्पतियां पनक नही पायेंगे जिससे खाध्य पदार्थ उपजाने में कमी आएगी।

4. परिस्थितिक तंत्र का क्षतिग्रस्त (Damage To Ecosystem)

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण विषम परिस्थिति उत्पन होने से जीव-जंतु मरने लगेंगे तथा वनस्पतियां नष्ट होगी जिससे स्थलीय परिस्थितिक तंत्र क्षतिग्रस्त होगी।

5. समुंद्री जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse Effects on Marine Life)

समुंद्री जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव वायुमंडल के तापमान में वृद्धि होने के कारण समुंद्री जल का वाष्पीकरण अधिक होगा जिससे जल में नमक का सांद्रता बढ़ेगा इसे समुद्री जीवो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

6. बीमारियों का फैलना (Health issues)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण शितकटिबंदीय क्षेत्रों का तापमन बढ़ जाएगा और इन क्षेत्रों में अनेकों प्रकार की बीमारियां फैलने लगेगी क्योंकि उन बीमारियों के लिए शीत कटिबंधीय क्षेत्रों की जलवायु ग्रहणशील हो जाएगी।

7. सूखा पड़ने की संभावनाएं (Chances of Drought)

मौसम में बदलाव होने के कारण किसान अपना पेसा बदलने लगे है बहुत से ऐसे किसान है कि मौसन की वजह से खेती करना ही छोड़ दिये है वायुमंडल का तापमान बढ़ने से जलवायु अधिक शुष्क हो जाएगी और इन शुष्क जलवायु के कारण भविष्य में सूखा पड़ने की संभावना बन जाती है।

Related Article :-

Leave a Comment